सम्झौताका बन्धन टुटेकै हुन,दु:ख लाग्यो
अवसरबादी शक्तिहरु जुटेकै हुन, दु:ख लाग्यो !!

राष्ट्रबादी जनता एकमालामा नउन्दा
राष्ट्रघाती बर्गदुशमन उठेकै हुन, दु:ख लाग्यो !!

गर्व,हासोखुसी चित्कारमा बद्लियो
सपनाहरू सिसासरी फुटेकै हुन,दु:ख लाग्यो !!

तछाडमछाड ,लुछाचुडी एकै घरको कलह
दाजुभाइको नातानि छुटेकै हुन, दु:ख लाग्यो !!

नेपाल आमामाथी गिद्दे दृष्टि लगाउने बनायौं
विदेशीले देशको स्वार्थ लुटेकै हुन ,दु:ख लाग्यो !!

दीपा परियार (मधु)
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